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स्थापना

उत्तर प्रदेश शासन (तत्कालीन यूनाइटेड प्रोविन्सेज शासन) ने प्रदेश मंे चिकित्सा, नर्सिंग व पैरामेडिकल के क्षेत्र में स्तरीय शिक्षा प्रदान करने व उन शिक्षण संस्थाओं की परीक्षक संस्था के रूप में सन् 1917 में ‘‘यूनाइटेड प्रोविन्सेज बोर्ड आफ मेडिकल एक्जामिनेषन’’ की स्थापना की थी। जिसका मुख्य कार्य ’’आगरा मेडिकल स्कूल’’ में शिक्षणरत् एल.एम.पी. (लाइसेन्शिएट मेडिकल प्रैक्टीशनर); पब्लिक हेल्थ के लाइसेन्सिएट तथा नर्सिंग की परीक्षाओं को सम्पन्न कराना था। इस समय एल.एम.पी. की व्यावसायिक योग्यता को स्तरीय नहीं माना गया, तथा इस योग्यता को उच्चीकृत कर ’लाइसेन्शिएट व मेम्बरशिप’ के डिप्लोमा की शिक्षा प्रदान करने की संस्तुति प्राप्त हुई। इस कार्य को करने के लिए यूनाइटेड प्रोविन्सेज स्टेट बोर्ड आॅफ मेडिकल एक्जामिनेशन को उच्चीकृत करके तत्कालीन लेफ्टिनेन्ट गवर्नर के द्वारा विधान परिषद में प्रस्ताव पारित कर ‘‘यूनाइटेड प्राविन्सेज स्टेट मेडिकल फैकल्टी’’ का गठन किया गया व नोटीफिकेषन संख्या 1228.V.202 मेडिकल डिपार्टमेन्ट नवम्बर, 10, 1926 जारी किया गया। तब से संस्था निरन्तर कार्यरत है। केन्द्र सरकार ने 1926/1929 में ही ’’इंडियन मेडिकल डिग्रीज एक्ट 1926’’ के अन्तर्गत शक्तियां प्रदान की। स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा 1940 तक एल.एस.एम.एफ. (लाइसेन्शिएट आॅफ स्टेट मेडिकल फैकल्टी) व एम.एस.एम.एफ. (मेम्बरशिप आॅफ स्टेट मेडिकल फैकल्टी) के डिप्लोमा धारक चिकित्सक तैयार किये गये। जिनका स्तर पूर्व में प्रशिक्षित एम.एम.पी., से ऊपर था, तथा चिकित्सा विज्ञान के डिग्री कोर्सों से निम्न था। ये प्रशिक्षण भी मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया के अस्तित्व में आने के बाद, तथा एम.बी.बी.एस. स्तर के डिग्री कोर्सों को पढ़ाने वाली संस्थाओं के बढ़ने के बाद, 1940 में बन्द कर दिये गये। उसके बाद स्टेट मेडिकल फैकल्टी नर्सिंग व पैरामेडिकल विषयों में प्रशिक्षणों का सम्पूर्ण कार्य करने लगी। जिसके लिये उसके पास इंडियन मेडिकल डिग्रीज एक्ट 1916 में प्राप्त शक्तियां थी।

उ0प्र0 स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने आशातीत उन्नति की है तथा नर्सिंग (ए.एन.एम. से एम.एस.सी. तक) के 400, डिप्लोमा पैरामेडिकल के 19 विषयों में 450 प्रशिक्षण केन्द्र खोले गये हैं। मा0 मंत्रिपरिषद् द्वारा डिग्री स्तर के पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों को प्रारम्भ करनेे व नियंत्रण/नियमन का कार्य करनेे हेतु उ0प्र0स्टेट मेडिकल फैकल्टी को अधिकार प्रदान की। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा माननीय मंत्रि परिषद के निर्णयानुसार, शासनादेश 4447/71-03-05/141/96/05 में उल्लिखित है कि जिन पैरामेडिकल पाठ्यक्रम में नियंत्रण/नियमन हेतु केन्द्र अथवा प्रदेष स्तर पर काउंसिले गठित नही है उनके संबंध में नियंत्रण/नियमन का कार्य उ0प्र0स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा किया जायेगा।
स्थापना से ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के अन्तर्गत कार्यरत उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी व सम्बद्ध संस्थाओं को, वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश शासन चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन कर दिया है।

उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी को अधिकार

भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल ने ‘‘स्टेट मेडिकल फैकल्टी’’ को अपने आदेश संख्या 1754/हेल्थ/ 16 दिसम्बर, 1926 के द्वारा ‘‘इण्डियन मेडिकल डिग्री एक्ट 1916(10 का भाग-3)श् के अन्तर्गत कार्य करने हेतु अधिकृत किया। इसी क्रम में फैकल्टी के माध्यम से पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति में कार्य करने हेतु फैकल्टी की शासी समिति द्वारा अनुमोदित व संस्तुत प्रशिक्षण केन्द्रों को उत्तर प्रदेश शासन से मान्यता प्रदान की जाती है। प्रशिक्षणोपरान्त फैकल्टी द्वारा परीक्षा लेकर, उन्हें सर्टिफिकेट, डिप्लोमा व पंजीकरण क्रमांक प्रदान किया जाता है।

उ0प्र0 में 1926 से पैरामेेडिकल काउंसिल की स्थानापन्न के रूप में उ0प्र0 स्टेट मेडिकल फैकल्टी देश की प्रथम पैरामेडिकल काउंसिल के रूप में कार्य कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा माननीय मंत्रि परिषद के निर्णयानुसार, शासनादेश 4447/71-03-05/ 141/96/05 में उल्लिखित है कि जिन पैरामेडिकल पाठ्यक्रम में नियंत्रण/नियमन हेतु केन्द्र अथवा प्रदेष स्तर पर काउंसिले गठित नही है उनके संबंध में नियंत्रण/नियमन नही का कार्य उ0प्र0स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा किया जायेगा।

इंडियन मेडिकल डिग्रीज एक्ट (1916 का 7वां) के शिड्यूल (सेक्शन-3) के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियां

यूनाइटेड प्रोविन्सेज स्टेट बोर्ड आॅफ एक्जामिनेशन2 (भारत सरकार, चिकित्सा विभाग, नोटिफिकेशन संख्या 524 दिनांक 11 अगस्त 1916)
यूनाइटेड प्रोविन्सेज स्टेट मेडिकल फैकल्टी में परिवर्तन 15 नवम्बर, 1926 (मद संख्या 11 उपरोक्तानुसार)
दि यूनाइटेड प्रोविसन स्टेट मेडिकल फैकल्टी4 (भारत सरकार नोटिफिकेशन शिक्षा, स्वास्थ्य एवं भूमि विभाग संख्या 1964, दिनांक 16 दिसम्बर, 1926, 15 नवम्बर 1929 से प्रभावित)

भारत सरकार
No. 1754-स्वास्थ्य
शिक्षा , स्वास्थ्य एवं भूमि
दिल्ली , दिसम्बर 16, 1926.
अधिसूचना

इण्डियन मेडिकल डिग्रीज एक्ट-1916 में प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुये भारत सरकार के गवर्नर जनरल 15 नवम्बर, 1926 से सहर्ष यूनाइटेड प्रोविन्सेज स्टेट मेडिकल फैकल्टी नामक संस्था को ब्रिटिष अधीन भारत में ऐसे डिग्री, डिप्लोमा, लाइसेन्स, प्रमाण-पत्र अथवा अन्य दस्तावेज प्रदान करने, स्वीकृत करने अथवा जारी करने की अनुमति प्रदान करते हैं, जिससे कि प्रदर्षित होता हो कि इन दस्तावेजों को ग्रहण करने वाला पाष्चात्य चिकित्सा विज्ञान में कार्य करने हेतु अर्ह हो।

उत्तर प्रदेश मेडिकल कौंसिल को अधिकार

द यूनाइटेड प्रोविन्सेज मेडिकल एक्ट-1917 एवं इंडियन मेडिकल कौंसिल एक्ट-1956 द्वारा अधिकृत।

उत्तर प्रदेश नर्सेज एवं मिडवाइव्ज कौंसिल को अधिकार

इंडियन मेडिकल डिग्रीज एक्ट-1916 एवं इंडियन नर्सिंग कौंसिल एक्ट-1947 द्वारा अधिकृत।

उत्तर डेण्टल कौंसिल को अधिकार

डेन्टिस्ट एक्ट-1948 द्वारा अधिकृत।

उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी के वित्तीय संसाधन

‘‘स्टेट मेडिकल फैकल्टी’’ का गठन एक स्वतंत्र परीक्षक संस्था के रूप में किया गया था। स्टेट मेडिकल फैकल्टी एक स्ववित्तपोशी संस्था है एवं अपने स्रोतों से प्राप्त वित्त का वित्तीय प्रबन्धन इस तरह से कर रही है कि इसे वाह्य वित्तीय स्रोतों की आवष्यकता नहीं हैं। षासन द्वारा भी किसी तरह की वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की जाती है।

उ0प्र0 स्टेट मेडिकल फैकल्टी का गठन पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति में अध्ययन करवाकर चिकित्सकों की कमी पूरी करने के लिये उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी के लाइसेन्सशियेट एवं मेम्बरशिप चिकित्सक तैयार करने के कार्यक्रम के अन्तर्गत किया गया था। इस हेतु फैकल्टी के दायित्वों में उनके लिये सिलैबस तैयार करने व परीक्षक संस्था के रूप में कार्य करना था। इसके साथ ही पब्लिक हेल्थ नर्सेज, फार्मेसी, (कम्पाउन्डर, ड्रेसर) लैब टेक्नीशियन, एक्सरे टेक्नीशियन, सेनेटेरी इन्सपेक्टर आदि को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता रहा है। वर्तमान में मुख्यत: पैरामेडिकल विषयों में प्रशिक्षण केन्द्र खोलने का कार्य, शासन की अंतिम अनुमति के बाद किया जाता है, एवं इन पैरामेडिकल प्रशिक्षित कर्मियों के नामिनेशन रजिस्ट्रेशन का कार्य किया जा रहा है। नर्सिंग प्रशिक्षण हेतु अनिवार्यता पत्र शासन द्वारा प्रदान किये जाते हैं। इसके लिये फैकल्टी द्वारा निरीक्षण का कार्य किया जाता है।

स्टेट मेडिकल फैकल्टी एक परीक्षक संस्था
स्टेट मेडिकल फैकल्टी केन्द्र सरकार द्वारा प्रदत्त ’’इंडियन मेडिकल डिग्री एक्ट–1916’’ की शक्तियों के अंतर्गत फैकल्टी निम्नलिखित प्रशिक्षणों की परीक्षक संस्था है –
1

सहायक नर्स एवं मिडवाइफ / स्वास्थ्य कर्मचारी (महिला)

2 डिप्लोमा इन फार्मेसी
3 डिप्लोमा इन ओ0टी0 टेक्नीशियन
4 डिप्लोमा इन सेनीटेशन
5 डिप्लोमा इन आप्टोमेट्री
6 डिप्लोमा इन आर्थाप्टिक्स
7 डिप्लोमा इन फिजियोथेरेपी
8  सामान्य नर्सिंग और मिडवाइफरी में डिप्लोमा
9 डिप्लोमा इन सी0एस0एस0डी0 टेक्नीशियन
10 डिप्लोमा इन आकुपेशनलथिरेपी
11 डिप्लोमा इन एक्स–रे टेक्नीशियन
12 डिप्लोमा इन लैबोरेटरी टेक्नीशियन
13 डिप्लोमा इन डायलिसिस टेक्नीशियन
14 डिप्लोमा इन सी0टी0 स्कैन टेक्नीशियन
15 डिप्लोमा इन कार्डियोलोजी टेक्नीशियन
16 डिप्लोमा इन एम0आर0आई0 टेक्नीशियन
17 डिप्लोमा इन इमरजेन्सी एवं ट्रामा केयर टेक्नीशियन
18 सर्टिफिकेट इन इमरजेन्सी एवं ट्रामा केयर असिस्टेन्स
19

बेबी नर्सिंग और चाइल्ड केयर में सर्टिफिकेट

20 रेडियोथेरेपी टेक्नीशियन में डिप्लोमा
21 रक्त आधान टेक्नीशियन में डिप्लोमा

फैकल्टी व संबद्ध काउंसिलों में पूर्ण कम्प्यूटरीकरण के कारण समस्त रजिस्ट्रेशन, डिप्लोमा एवं अन्य दस्तावेज आदि कम्प्यूटर से निर्गत हो रहे हैं। इस कार्य में देश का पहला राज्य है जहाँ इस तरह की सुविधा व प्रक्रिया उपलब्ध है। जिससे वर्ष 1917 से रखा रिकार्ड कम्प्यूटरीकृत हो रहा है। समस्त रिकार्ड को लैमिनेशन करवाकर सुरक्षित किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि स्वशासी स्वरूप होने के कारण, प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को किसी प्रकार के शासकीय सेवायोजन की बाध्यता नहीं होती है। इन सभी प्रशिक्षणों का अत्यन्त व्यावसायिक महत्व है। इस तरह स्टेट मेडिकल फैकल्टी के द्वारा उ0प्र0 शासन की नीति के अनुरूप रोजगार के अवसर सुलभ हो रहे हैं। साथ ही साथ राजकीय के अलावा निजी चिकित्सा क्षेत्र में भी प्रशिक्षित तकनीशियन प्राप्त हो रहे हैं।

प्रशिक्षण केन्द्रो को खोलने के पूर्व शासन की अनुमति ली जाती है। उ0प्र0 स्टेट मेडिकल फैकल्टी निरन्तर अपना योगदान स्वास्थ्य सेवाओं के तकनीकी पक्ष को सुदृढ़ करने में देना चाहती है। इस संबंध में शासन के निर्देशों का पालन किया जाता है व प्राप्त निर्देशों को शासी समिति में विचारार्थ रखा जाता है। इस तरह से उ0प्र0 स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने अपने गठन के उद्देश्यों को पूरा करने का पूर्ण प्रयास किया है।

फैकल्टी नये केन्द्रों को मानकों के अन्तर्गत मान्यता प्रदान करती है एवं उन केन्द्रों की परीक्षाये डिप्लोमा एवं रजिस्ट्रेशन का भी कार्य किया जाता है।